भारतवंशी सत्या नडेला ने हासिल की बड़ी उपलब्धि, माइक्रोसॉफ्ट ने अब सीईओ से बनाया चेयरमैन

सॉफ्टवेयर बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने सत्या नडेला को चेयरमैन नियुक्त किया है। भारतीय मूल के नडेला पिछले 7 साल से कंपनी के सीईओ हैं। उनके नेतृत्व में कंपनी ने नई बुलंदियों को छुआ है और उन्हें अब इसका इनाम दिया गया है। वह जॉन थॉमसन की जगह लेंगे जो एक बार फिर लीड इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की भूमिका में वापस लौटेंगे। थॉमसन को 2014 में चेयरमैन बनाया गया था। उससे पहले वह कंपनी के बोर्ड में लीड इंडिपेंडेंट डायरेक्टर थे।
53 साल के नडेला को 2014 में माइक्रोसॉफ्ट का सीईओ बनाया गया था। जब उन्होंने यह पद संभाला था तो कंपनी कई तरह की परेशानियों से गुजर रही थी। नडेला ने न सिर्फ माइक्रोसॉफ्ट को इन परेशानियों से बाहर निकाला बल्कि उसे नई बुलंदियों तक पहुंचाया। उन्होंने क्लाउड कंप्यूटिंग, मोबाइल ऐप्लिकेशनंस और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर फोकस किया और साथ ही ऑफिस सॉफ्टवेयर फ्रेंजाईजी में भी नई जान फूंकी।
उनके कार्यकाल के दौरान माइक्रोसॉफ्ट के शेयरों की कीमत में सात गुना से अधिक इजाफा हुआ और कंपनी का मार्केट कैप 2 लाख करोड़ डॉलर के करीब पहुंच गया। नडेला कंपनी के तीसरे सीईओ हैं और कंपनी के इतिहास में तीसरे चेयरमैन होंगे। इससे पहले बिल गेट्स और थॉमसन कंपनी के चेयरमैन रह चुके हैं। नडेला से पहले स्टीव बाल्मर कंपनी के सीईओ रहे। कंपनी ने एक बयान में कहा कि 72 साल के थॉमसन लीड इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के तौर पर एक्टिव रहेंगे और नडेला के कंपनसेशन, सक्सेशन प्लानिंग, गवर्नेंस और बोर्ड ऑपरेशंस देखेंगे।
सत्या नडेला का जन्म भारत के हैदराबाद में साल 1967 में हुआ था। उनके पिता एक प्रशासनिक अधिकारी और मां संस्कृत की लेक्चरर थीं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद पब्लिक स्कूल से करने के बाद साल 1988 में मनिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद कंप्यूटर साइंस में एमएस करने के लिए अमेरिका चले गए। उन्होंने 1996 में शिकागो के बूथ स्कूल ऑफ बिजनस से एमबीए किया।