Trisha Kar Madhu के बाद Priyanka Pandit… क्यों महिलाओं के ही Private Photo-Video लीक हो रहे हैं, कहां हो रही गलती, क्या है कानून?
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री (Bhojpuri Film Industry) की एक्ट्रेस तृषा कर मधु की प्राइवेट इंटीमेट वीडियो लीक (Trisha Kar Madhu Private Video MMS Leaked) होने का मामला अभी शांत भी नहीं पड़ा था कि एक और Bhojpuri Actress प्रियंका पंडित की एक वीडियो सोसल मीडिया पर लीक (Priyanka Pandit Private Video MMS Leaked) हो गई। सामने आई जानकारी के अनुसार वीडियो में वह अकेली हैं लेकिन यौन उत्तेजना प्रयास की आपत्तिजनक अवस्था में नजर आ रही हैं सामने आई। दोनों ही वीडियो को काफी पुराना बताया जा रहा है आौर दोनों ही अभिनेत्रियों ने एमएमस लीक (MMS Leak) मामले में सफाई भी दी है.
एक युवक संग शारीरिक संबंध बनाते हुए (Trisha Kar Madhu Intimate Video with Her Boyfriend) लीक हुई अपनी वीडियो पर सफाई देते हुए तृषा कर मधु ने कहा कि धोखे से उनकी जानकारी के बिना यह वीडियो लीक की गई है। वहीं दूसरी तरफ प्रियंका ने एक मीडिया पोर्टल से बात करते हुए बताया कि कुछ लोग उन्हें बदनाम करने के इरादे से इस वीडियो को वायरल कर रहे हैं। उनका तो यह भी कहना है कि यह वीडियो उनका है ही नहीं।
बहरहाल, इस तरह के मामले नए नहीं हैं. इससे पहले भी नेताओं के, हीरो-हीरोइन्स के, हाई प्रोफाइल लोगों के आपत्तिजनक वीडियो एमएमस यानी मल्टीमीडिया मैसेजेस के रूप में लीक होते रहे हैं. हालांकि ताजा दोनों मामले तो सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं. अब गंभीर सवाल ये है कि महिलाओं के नितांत प्राइवेट वीडियो, अतरंगी तस्वीरें या एमएमएस क्यों लीक हो रहे हैं? इसका जवाब ढूंढने से पहले कुछ बुनियादी बातों के बारे में समझने की कोशिश करते हैं.
सेक्सटॉर्शन, निजता का हनन और मानहानि
एनसीआरबी यानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, हर साल साइबर क्राइम के मामले बढ़ रहे हैं. वर्ष 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में सालभर में साइबर क्राइम के कुल 44,546 मामले सामने आए. ये वे मामले हैं, जिनकी रिपोर्ट दर्ज कराई गई थीं. अनगिनत मामले तो रिपोर्ट भी नहीं होते. तो क्या प्राइवेट वीडियो लीक होना भी इसी कैटगरी में शामिल है?
सीनियर एडवोकेट रजनीश कुमार कहते हैं कि सेक्सटॉर्शन (Sextortion) के लिए भारत क्या, अमेरिका, ब्रिटेन वगैरह में भी अलग से कानून नहीं है. सेक्सटॉर्शन का मतलब (Sextortion Means) हुआ- किसी के कंप्यूटर, मोबाइल वगैरह में सेंध लगाकर इंटीमेट तस्वीर, वीडियो वगैरह चुराना या वेबकैम वगैरह से वीडियो बना लेना और फिर विक्टिम को ब्लैकमेल करना. इसके लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल होता है.
तृषा कर मधु और प्रियंका पंडित के मामले में ब्लैकमेलिंग या फिरौती की बात सामने नहीं आई है. दोनों के मुताबिक, उन्हें बदनाम करने के लिए ऐसा किया गया है. रजनीश के मुताबिक इस तरह के केसेस में पहला मामला बनता है निजता के हनन का.
वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के साथ जोड़ते हुए इसे विस्तार दे दिया. यानी निजता भी मौलिक अधिकार का हिस्सा बन गई है और इस स्थिति में कोई भी नागरिक अपनी निजता के हनन की स्थिति में याचिका दायर कर न्याय की मांग कर सकता है.
अब आते हैं मानहानि पर. एडवोकेट रजनीश बताते हैं कि भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धाराएं 499 से 502 मानहानि से संबंधित है. अगर कोई व्यक्ति समाज में किसी मान-सम्मान वाले किसी अन्य व्यक्ति को सार्वजनिक तौर पर अपमानित करता है, तो ऐसा करना मानहानि हुई. ऐसे में विक्टिम अपमानित करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट जा सकता है. इसमें धारा 500 के तहत दो साल की सजा का प्रावधान है. आरोपी पर क्षतिपूर्ति भी ठोकी जा सकती है. हालांकि कोर्ट में सत्य तथ्यों को आधार साबित कर दिए जाने पर यह अपवाद हो जाता है.
ज्यादातर शिकार महिलाएं ही क्यों?
NCRB की ही रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध अबतक के उच्च स्तर पर हैं. किसी व्यक्ति को ऑनलाइन परेशान करने से लेकर सेक्सटॉर्शन तक इसमें आते हैं. वीमेन सेंट्रिक पोर्टल shethepeople पर एक लेख में रतन प्रिया कहती हैं कि देशभर में कई ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जिनमें महिलाओं को उनके अपने साथी द्वारा ही नितांत निजी तस्वीरों, वीडियो, मैसेजेस या मेल वगैरह का इस्तेमाल कर ब्लैकमेल किया जाता है.
पुरुष की अपेक्षा महिलाओं के साथ ही ऐसा होने के पीछे अपने लेख में वे कहती हैं कि आदमी के साथ ऐसा विरले ही होता है. वह सवाल उठाती हैं कि क्यों पुरुष शरीर और उनके यौन प्रयास ऐसे नहीं हैं, जिन्हें लोग लीक करने में रुचि लें. पुरुषों को इसके लिए शर्म महसूस करने की भी आदत नहीं है. पुरुषों के नाम से प्राइवेट वीडियो सर्च नहीं किए जाते.
आगे वे कहती हैं कि लड़कियों को उनकी नग्न तस्वीरें भेजने के लिए मजबूर किया जाता है फिर वही पुरुष उसका विश्वास तोड़ता है. एक समाज के रूप में हमें यह सवाल करने की जरूरत है कि क्यों कुछ लोग एक महिला की गोपनीयता भंग करते हैं, क्यों ऐसा करना उन्हें अच्छा लगता है.
सावधान रहने की जरूरत, संदेह करना भी जरूरी
इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR) की रिसर्च फेलो सुनीता कहती हैं कि अक्सर इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं. ऐसे में लड़कियों को सावधान रहने की जरूरत है. किसी के साथ रिलेशनशिप रखना, संबंध बनाना या न बनाना उनकी निजी स्वतंत्रता है. लेकिन बिताए गए निजी लम्हों को लेकर उन्हें थोड़ा संदेह करने की भी जरूरत है. क्योंकि ऐसे मामलों में बेहद करीबी ही धोखेबाज साबित होता है. आपत्तिजनक स्थितियों को फोटो, वीडियो वगैरह के रूप में सहेजने की जरूरत ही क्या है! आगे वे कहती हैं कि मोबाइल एक पर्सनल चीज है और इसमें आपकी गोपनीय जानकारी, निजी तस्वीरें या वीडियो वगैरह हों तो इसे बेहद पर्सनल रखना जरूरी है.
स्मार्टफोन और लैपटॉप में पासवर्ड सिक्योरिटी
देश के गृह सचिव रह चुके राजीव महर्षि ने सितंबर 2017 में निजता से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा था कि लोग स्मार्टफोन के खतरों के बारे में बात ही नहीं करते और न ही उससे लीक होने वाले डाटा के बारे में सोचते हैं. तब उन्होंने संसदीय समिति को बताया था कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले 40 फीसदी लोग जाने अंजाने में अपनी निजी सूचनाएं पूरी दुनिया को बांट रहे हैं.
ऐसे में मोबाइल और लैपटॉप में पासवर्ड सिक्योरिटी फीचर का इस्तेमाल करना जरूरी है. बिहार के भागलपुर जिले में आर्यन कंप्यूटर्स नाम से एक इंटरनेट कैफे और सीएससी संचालित कर रहे सुमित कुमार बताते हैं कि मोबाइल हो या कंप्यूटर या लैपटॉप, अगर आप डिवाइस लॉक नहीं रखना चाहते तो निजी डेटा वाले फोल्डर्स को पासवर्ड से सिक्योर्ड कर सकते हैं. मोबाइल में ऐप लॉक नाम से कई एप्लीकेशन आते हैं, जिसे पासवर्ड, पैटर्न या फिंगरप्रिंट से लॉक रखा जा सकता है.